अब भी याद आए गांव....
हां, अब भी याद आए गांव
कोश सहस्र से लुभाए गावं
वो गरमी की सूनी सड़कें
वो सरदी की अलाव पर कड़कें
बिसरा कैसे जाए गावं
अब भी याद आए गांव..
वो उजली धूप सी खुशियां
वो मित्रों की बतकहियां
चांदी सी निखरी वो नदियां
रह रह टीस उठाए गांव..
अब भी याद आए गांव.
बहुत सुंदर कविता
ReplyDelete